मूलाधार चक्र

  

1. मूलाधार - मूल चक्र  

रंग        : लाल

स्थिति    : रीढ़ की हड्डी के अंत में स्थित है।

जिम्मेदार    : स्थिरता, पहचान और सुरक्षा और सुरक्षा की भावना। 

मूलाधार दो संस्कृत शब्दों से बना है: मूला, जिसका अर्थ है "जड़," और अधरा, जिसका अर्थ है "आधार"।


मूल चक्र आपको भौतिक दुनिया से जोड़ता है और यह वह आधार है जिस पर आपका व्यक्तित्व निर्मित और विकसित होता है। जैसे किसी इमारत की बुनियाद सबसे महत्वपूर्ण होता है, उसी तरह मूलाधार सबसे महत्वपूर्ण चक्र होता है। अगर आपका मूलाधार मजबूत हो, तो जीवन हो या मृत्यु, आप स्थिर रहेंगे क्योंकि आपकी नींव मजबूत है और बाकी चीजों को हम बाद में ठीक कर सकते हैं। यदि यह चक्र संतुलित और सही ढंग से काम कर रहा है तो आपमें अधिक जोश, साहस और आत्मविश्वास होगा।.

चक्र में असंतुलन

असंतुलित मूलाधार चक्र से मानशिक चिंता, भय और बुरे सपने आते है।
मूलाधार चक्र के शारीरिक असंतुलन से भी काफी मुश्किलें आती है जैसेकि आत की समस्या, मूत्राशय की समस्या, पीठ के निचले हिस्से मै दर्द, पैरो मै दर्द या उसकी समस्या। पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या हो सकती है। खाने की समस्याएं भी मूलाधार चक्र असंतुलन का संकेत दे सकती हैं।


चक्र को कैसे संतुलित करें

गंध (Smell) पहले चक्र से जुड़ी इंद्रिय अंग है। मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए ध्यान करते समय अपनी नाक की नोक पर केंद्रित करे और उन विशेषताओं को सामने लाएं जिनकी आपको इसे संतुलित करने की आवश्यकता है। (i.e. स्थिरता, पहचान और सुरक्षा और सुरक्षा की भावना)


आसन

निचे दिए गए आसन  से मूलाधार चक्र को संतुलन मै लाया जा सकता है

घुटने से छाती की स्थिति        : पवनमुक्तासन 

सिर से घुटने तक                 : जानुशीर्षासन 

बैठने की मुद्रा                    : मलासन

ध्वनि

जैसे संगीत लोगों को एक साथ लाता है वैसेही आपको अपना संतुलन पुनः प्राप्त करने में मंत्र या ध्वनिया मदद कर सकती है। ध्वनियाँ शरीर में कंपन पैदा करती हैं जिससे शरीर की कोशिकाएं एक ही ध्वनि में कंपति होती हैं जिससे शरीर संतुलित स्तिथि मै आता है। 

लं। मंत्र की ध्वनि है जो मूल चक्र से संबंधित है। आप इस ध्वनि का अभ्यास कर सकते हैं जैसा कि नीचे दिए गए लिंक (Link) में दिखाया गया है



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